आई फ्लू 3
"तो उन्हीं के पास जाओ ना, मेरे पास क्यों आए हो"? "इसीलिए मेरे पापा और भाई तुम्हें पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि तुम एक नंबर के लड़की बाज हो "!माया ने कहा
"हां, हूं और तेरा बाप और तेरा भाई, मुझे इसलिए पसंद नहीं करते हैं क्योंकि मेरे उनसे ज्यादा फोलोवर और सब्सक्राइबर है"!
"कितनी घटिया तरीके से बात करते हो तुम, अनपढ़, गवार जैसी, लैंग्वेज में"! माया ने कहा
"मैं तो शुद्ध हिंदी मालवी भाषा में बात करता हूं, तेरे जैसी टूटी फूटी इंग्लिश में नहीं"! धर्मेंद्र ने कहा मैं कहां
"तुमसे फोकट बहस रही हूं, जा रही हूं मैं, नहीं तो मुझे भी आई फ्लू हो जाएगा और सुनो बिल भर देना"! माया ने पलट कर कहां
"पर मैंने तो कुछ खाया ही नहीं है"! धर्मेंद्र ने बताया
"मैं डेढ़ घंटे से तुम्हारा इंतजार कर रही थी, उस का बिल है यह, चुपचाप भर देना"! माया ने कहा
और चली गई फिर धर्मेंद्र काउंटर पर जाकर पूछता है -"भैया कितने का बिल हुआ"?
"₹1000"?
"ऐसा क्या खा गई 1000 का"? धर्मेंद्र ने पूछा
"जब से आई थी, कुछ ना कुछ ठुसे ही जा रही थी और वह अकेली थोड़ी आई थी, अपनी दो सहेलियों को लेकर आई थी और आप प्लीज अगली बार चश्मा पहन कर आइएगा"!
"ठीक है, ठीक है"! धर्मेंद्र ने पैसे देते हुए कहा
धर्मेंद्र अपने घर आता है, जहां उसके दोस्त चश्मा पहने रात में मोबाइल चला रहे हैं, धर्मेंद्र उन्हें देखकर कहता है "-अरे निकम्मो दिन-रात मोबाइल चलाते हो, आंखें खराब हो जाएगी तुम्हारी"!
"अरे, हमारी तो होगी तब होगी, तेरी तो अभी ही हो गई है"! राजू ने कहा
"तेरी आंखे इतनी लाल क्यों"? "है लगता है आ गया, आई फ्लू के लपेटे में"! काजू ने हंसते हुए कहा
"फोकट में, खुश मत हो, एक पागल ने मेरी आंखों में मिर्ची डाल दी थी, उससे लाल हो गई है, अभी थोड़ी देर सो जाऊंगा तो ठीक हो जाएगी"! धर्मेंद्र ने बताया
फिर धर्मेंद्र सो जाता है तब राजू धीरे से काजू से कहता है -"मैं, सौ परसेंट गारंटी से बोल सकता हूं, इसे आई फ्लू हो गया है"!
"मुझे भी यही लगता है "!काजू ने कहां
"तुम दोनों अपनी कुसूर -पुसुर बंद करो, नहीं तो अभी घर से निकाल दूंगा"! धर्मेंद्र ने कंबल उठाकर कहां
"धर्मेंद्र"! "ज्यादा इतरा मत, सुबह जब दोनों आंखें चिपक जाएगी और गिझोड़ से भूल जाएगी तो पता चगेगा, आई फ्लू को मजाक में लेने का अजांम, चल काजू बाथरूम के पास जाकर, सोने में ही फायदा है, इसके पास सोएंगे तो अपन दोनों भी आई फ्लू के लपेटे में आ जाएंगे"! यह कहरर राजू और काजू चले जाते हैं
सुबह होती है, धर्मेंद्र उठते ही अपनी आंखे संभालता है, वह धीरे से अपनी आँखे खोलता है, उसे सब कुछ ठीक लगता है फिर वह दर्पण में अपनी आंखे देखता है, जो बिल्कुल सही है, यह देख कर दिल खुश हो जाता है और एक लोठा पानी लाकर आधा-आधा दोनों दोस्तों के मुंह पर डालता है और कहता है -"देखो, डॉक्टर की औलाद, मेरी आंखें बिल्कुल ठीक है, मुझे कुछ नहीं हुआ है, अरे, जब कोरोना जैसी बीमारी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाई तो यह आई फ्लू जैसी चींटी, मेरा क्या बिगाड़ लेगी"? धर्मेंद्र ने कहा
"इतनी जल्दी, इसकी आखें, केसे ठीक हो गई"? राजू ने आश्चर्य से पूछा
"हां यार, इसकी आंखें तो एकदम ठीक हो गई है"! काजू ने जवाब दिया
फिर धर्मेंद्र बन ठन कर तैयार होता है और अपनी बाइक लेकर घर से निकलता है, तब राजू पूछता है -"इतना बन ठन कर, कहां जा रहा है, सवेरे, सवेरे"!
"कल तेरी डॉक्टर ने भाभी को गलतफहमी हो गई थी कि मुझे भी आई फ्लू हुआ है, उसकी गलतफहमी दूर करने क्लीनिक जा रहा हूं"!
यह कह कर धर्मेंद्र बाइक स्टार्ट कर निकल जाता है कुछ दूर जाने के बाद एक पढ़ा लिखा आदमी, अपने हाथों में एक बड़ा सा बॉक्स लिए, धर्मेंद्र को रोकता है और कहता है -"सर प्लीज, मुझे श्मशान घाट हॉस्पिटल तक लिफ्ट दे दीजिए"!
"यह कौन सा हॉस्पिटल है"? धर्मेंद्र ने आश्चर्य से पूछा
"यहां से थोड़ा सा आगे हैं"! व्यक्ति ने कहा
"ठीक है, बैठ जाइए"! धर्मेंद्र ने कहा
"मेरा नाम, डॉक्टर अक्षय आंखमारु है, मैं नेत्र रोग विशेषज्ञ हूं"! डॉक्टर ने चलती बाइक पर कहा
"डॉक्टर आंखमारु, यह नाम तो मैंने कई बार सुना है"! धर्मेंद्र ने बताया
"इंदौर का बहुत फेमस डॉक्टर हूं, मैंने जिंबाब्वे में मेडिकल की पढ़ाई की है, अभी आई फ्लू बहुत चल रहा है इसलिए मैंने रिसर्च कर, एक ऐसी दवा बनाई है, एक ऐसी दवा बनाई है की आंखों में एक बूंद डालते ही आई फ्लू का काम तमाम"! डॉक्टर ने गर्व से कहा
"ओह अच्छा"! धर्मेंद्र ने प्रतिक्रिया दी
"भाई साहब 1 मिनट यहां रोकिए मुझे 2 मिनट का काम है, मैं अभी करके आता हूं और आप प्लीज इस बॉक्स का ध्यान रखना, इसमें बहुत महंगी दवाई है, मैंने बहुत मेहनत करके बनाई है,"!डॉक्टर ने कहा
"इतनी महंगी दवाई, आप एक अनजान व्यक्ति के हवाले छोड़कर जा रहे हो, अगर मैं लेकर भाग गया तो आप बुरा तो नहीं मानोगे"! धर्मेंद्र ने हंसते हुए पूछा
"अरे भाई साहब, आप शक्ल से तो बहुत रईस मालूम पड़ते हो, कोई चोर उचक्के थोड़ी हो, मैं दवाई बनाने में और आदमी को पहचानने में कभी गलती नहीं करता हूं"! डॉक्टर ने आत्मविश्वास से कहा
"ठीक है पर जल्दी आना"! धर्मेंद्र ने निवेदन किया
"अभी गया और आया"! डॉक्टर यह कह कर चला जाता है
5 मिनट बाद धर्मेंद्र अपने मन मे विचार करता है -"अरे यह डॉक्टर कहां मर गया, अभी तक नहीं आया, इस बॉक्स में गांजा, अफीम तो नहीं है बॉम भी हो सकता है"!
यह विचार करके धर्मेंद्र धीरे से बॉक्स खोलता है तो उसमें बहुत सारे आई ड्रॉप रखे हुए देखता है!
फिर धर्मेंद्र अपने मन में विचार करता है -"धर्मेंद्र बेटा, इस बॉक्स में खजाने की चाबी है, इसे लेकर उड़ जा, ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता है, इस दवाई को अपनी डॉक्टरनी मैडम को दे देना, वह भी खुश हो जाएगी और तेरी सब और जय जयकार हो जाएगी"!
यह ख्याल कर धर्मेंद्र उस दवाई के बॉक्स को अपनी बाइक की टंकी पर रखता है और किक मारकर वहां से माया के क्लीनिक पहुंचता है और देखता है!
वहां कई लोग चश्मा लगाकर खड़े हैं धर्मेंद्र पूछता है -"माया का असिस्टेंट कौन है"?
"मैं हूं"! एक युवक ने कहा
"जाओ और माया से कहो, धर्मेंद्र बिलोटिया उससे मिलने आए हैं"!
"माया जीजी आज नहीं आई है, उनकी तबीयत खराब है"! असिस्टेंट ने बताया